क्यों मनाई जा रही है 11 दिन पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ ?
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है, जबकि मूल प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी। यह अंतर क्यों है? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है, जबकि मूल प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी। यह अंतर क्यों है? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा की तिथि और हिंदू पंचांग
22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हिंदू पंचांग की पौष शुक्ल द्वादशी तिथि को संपन्न हुई थी। हिंदू धर्म में त्योहार और महत्वपूर्ण अनुष्ठान तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं, न कि ग्रेगोरियन कैलेंडर की तारीख के अनुसार। इसलिए, वर्ष 2025 में पौष शुक्ल द्वादशी तिथि 11 जनवरी को पड़ रही है, जिसके चलते प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ इसी दिन मनाई जा रही है।
हिंदू त्योहारों में तिथि का महत्व
हिंदू धर्म में सभी प्रमुख त्योहार जैसे राम नवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, और विवाह पंचमी तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। इसी परंपरा के अनुसार, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भी तिथि के अनुसार मनाई जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि सभी हिंदू त्योहार विशिष्ट तिथियों के अनुसार मनाए जाते हैं, इसलिए रामलला की प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भी तिथि के अनुसार ही मनाई जाएगी।
वर्षगांठ समारोह के आयोजन
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अयोध्या में तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जो 11 जनवरी से 13 जनवरी 2025 तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, हवन, कीर्तन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस महोत्सव का शुभारंभ करेंगे।
समारोह का महत्व
यह महोत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अयोध्या और समस्त हिंदू समाज के लिए गर्व का विषय है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला अवसर है जब इतनी भव्यता से वर्षगांठ मनाई जा रही है, जो भक्तों के उत्साह और श्रद्धा को दर्शाता है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ तिथि के अनुसार मनाने की परंपरा हिंदू धर्म की गहरी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का प्रतीक है। यह आयोजन भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा और अयोध्या की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाएगा।