विवाह पंचमी 2024: क्यों मनाई जाती है विवाह पंचमी, जानें पूजा विधि, मंत्र जाप और विशेष नियम
विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसे उत्तर भारत में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है, खासकर जनकपुर और अयोध्या में भव्य आयोजन होते हैं।
विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के शुभ अवसर पर मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसे उत्तर भारत में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है, खासकर जनकपुर और अयोध्या में भव्य आयोजन होते हैं।
विवाह पंचमी का महत्व
विवाह पंचमी का संबंध भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह से है। इस दिन को सत्य और धर्म के आदर्श विवाह का प्रतीक माना जाता है। जनकपुर, जहां यह विवाह संपन्न हुआ था, वहां आज भी बड़े उत्साह से इसका उत्सव मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रामचरितमानस का पाठ और पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
विवाह पंचमी के दिन पूजा विधि
- सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान को फल, फूल, धूप, दीप, और पंचामृत अर्पित करें।
- श्रीरामचरितमानस का पाठ करें और 'श्रीराम जय राम जय जय राम' मंत्र का जाप करें।
- पूजन के अंत में भगवान से परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करें।
विवाह पंचमी के दिन विवाह करना क्यों वर्जित है?
विवाह पंचमी का दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का पवित्र दिन है। इस दिन किसी और का विवाह करना अशुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन को भगवान का दिन माना जाता है और इसमें किसी अन्य विवाह को प्राथमिकता देना अपवित्रता मानी जाती है।
विवाह पंचमी पर कौन से मंत्र का करें जाप?
आज पूरे दिन रामचरित मानस के चौपाईयों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। हम आपको रामचरित मानस के कुछ ऐसे विशेष चौपाई बता रहे हैं, जिसके जाप से जातक के शीघ्र विवाह या सुखी वैवाहिक जीवन जुड़े सभी दुःख कष्ट दूर हो सकते हैं। इन मंत्रों का जाप आप तुलसी की माला से कम से कम 108 बार करें
1. प्रमुदित मुनिन्ह भावँरीं फेरीं। नेगसहित सब रीति निवेरीं॥ राम सीय सिर सेंदुर देहीं। सोभा कहि न जाति बिधि केहीं॥
2. पानिग्रहन जब कीन्ह महेसा। हियँ हरषे तब सकल सुरेसा॥ बेदमन्त्र मुनिबर उच्चरहीं। जय जय जय संकर सुर करहीं॥
3- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥ नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
विवाह पंचमी के दिन कौन से काम करें और कौन से न करें?
क्या करें:
- इस दिन सुबह गंगा स्नान करें।
- राम-सीता की कथा सुनें और श्रीरामचरितमानस का पाठ करें।
- गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
क्या न करें:
- इस दिन मांसाहार और मदिरा का सेवन न करें।
- घर में झगड़ा या कटु वाणी का प्रयोग न करें।
- किसी भी प्रकार की अशुद्धता न फैलाएं।
विवाह पंचमी को कैसे मनाएं?
- मंदिरों में भव्य झांकी और राम-सीता की विवाह लीला का आयोजन किया जाता है।
- भक्तजन इस दिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करते हैं।
- अयोध्या और जनकपुर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्रीराम और माता सीता को स्मरण करते हुए भजन-कीर्तन करते हैं।
ऐसे कराएं राम-सीता का विवाह
इसके बाद सबसे पहले सिया-राम विवाह के कार्यक्रम का संकल्प लें। भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद या "ऊं जानकीवल्लभाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। फिर रामायण के बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें। इस दौरान भगवान राम और माता सीता को अर्पित किए वस्त्र में गांठ बांधे, फिर उन्हें पुष्पों की माला अर्पित करें. इसके बाद आखिरी में उनकी आरती करें। ऐसी मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन इस उपाय को करने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं. आज पूरे दिन "सीता राम चरित सुनि, पावन, कलुष विचार नाथ हरन" जैसे मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
विवाह पंचमी का पौराणिक महत्व
रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने इस दिन माता सीता के साथ विवाह किया था। इसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह के रूप में भी देखा जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है सत्य, धर्म, और प्रेम के संदेश को फैलाना।
विवाह पंचमी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में आदर्श और संस्कार स्थापित करने का माध्यम है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति आती है। इस पवित्र दिन पर बताए गए नियमों का पालन कर आप भगवान का आशीर्वाद पा सकते हैं।