Sawan Ekadashi Date 2024: सावन महीने पड़ने वाली एकादशी का भी है विशेष महत्व, इस बार पड़ेंगी दो एकादशी

वैसे तो सभी एकादशी की अधिक महत्व होता है। लेकिन, सावन के महीने में आने वाली एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस बार सावन में दो एकादशी पड़ने वाली है जिनका नाम कामिका एकादशी और श्रावण पुत्रदा एकादशी है। आइए जानते हैं कामिका एकादशी और श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की तारीख, महत्व और पूजा का मुहूर्त।

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Sawan Ekadashi Date 2024: सावन महीने पड़ने वाली एकादशी का भी है विशेष महत्व, इस बार पड़ेंगी दो एकादशी

एकादशी का व्रत हर महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो सभी एकादशी की अधिक महत्व होता है। लेकिन, सावन के महीने में आने वाली एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस बार सावन में दो एकादशी पड़ने वाली है जिनका नाम कामिका एकादशी और श्रावण पुत्रदा एकादशी है। आइए जानते हैं कामिका एकादशी और श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की तारीख, महत्व और पूजा का मुहूर्त।

कामिका एकादशी व्रत कब रखें
कामिका एकादशी तिथि का आरंभ 30 जुलाई को शाम में 4 बजकर 44  मिनट पर हो रहा है और 31 जुलाई को शाम में 3 बजकर 55  मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा। क्योंकि, शास्त्रों में उदय तिथि में व्रत करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति कामिका एकादशी का व्रत करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। एकादशी के दिन दो समय पूजन करना चाहिए।

On 1st Aug, Parana Time - 05:31 AM to 08:12 AM
On Parana Day Dwadashi End Moment - 03:28 PM
Ekadashi Tithi Begins - 04:45  PM on Jul 30, 2024
Ekadashi Tithi Ends - 03:55 PM on Jul 31, 2024

कामिका एकादशी पर ऐसे करें पूजा
कामिका एकादशी से ठीक एक दिन पहले व्यक्ति को चावल खाना बंद कर देना चाहिए। साथ ही कामिका एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि आप किसी पवित्र नहीं पर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करें। पूजा के लिए पीले रंग के आसन का ही इस्तेमाल करें। इसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा करें। एकादशी कथा का पाठ भी करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें। साथ ही व्रत के अगले दिन पारण के समय ब्राह्मण या किसी जरुरमंद को दान जरुर दें।

पारण का अर्थ है व्रत को समाप्त करना। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो द्वादशी तिथि के भीतर पारण करना अति आवश्यक है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक-चौथाई अवधि होती है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत तोड़ने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। अगर कोई प्रातःकाल के दौरान व्रत तोड़ने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद व्रत तोड़ना चाहिए।

कभी-कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्मार्त एवं परिवार को पहले दिन ही व्रत करना चाहिए। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी व्रत, जो कि दूसरी होती है, करने की सलाह दी जाती है। जब स्मार्त के लिए वैकल्पिक एकादशी व्रत का सुझाव दिया जाता है तो यह वैष्णव एकादशी व्रत के दिन के साथ मेल खाता है।

भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह पाने के इच्छुक परम भक्तों के लिए दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।


श्रावण पुत्रदा एकादशी
हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन श्रावण पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रख विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। श्रावण पुत्रदा एकादशी स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से नवविवाहित दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। वहीं, सामान्यजनों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए, श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय एवं योग जानते हैं

श्रावण पुत्रदा एकादशी पर्व  का विशेष महत्व है। पुत्र प्राप्ति की इच्छा वाले दंपति श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत करते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से जातक को मृत्यु उपरांत उच्च लोक की प्राप्ति होती है। इस शुभ तिथि पर साधक स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।


कब मनाई जाएगी श्रावण पुत्रदा एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
 Shravana Putrada Ekadashi 2024: हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन श्रावण पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रख विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। श्रावण पुत्रदा एकादशी स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। धार्मिक मत है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से नवविवाहित दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। वहीं, सामान्यजनों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए, श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण का समय एवं योग जानते हैं-

पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर है। वैष्णव समाज संग सामान्यजन 16 अगस्त को श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत रख जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे। इसके अगले दिन 17 अगस्त को सुबह 05 बजकर 39  मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक पारण कर सकते हैं।

Shravana Putrada Ekadashi on Friday, August 16, 2024
On 17th Aug, Parana Time - 05:39 AM to 08:05 AM
On Parana Day Dwadashi End Moment - 08:05 AM
Ekadashi Tithi Begins - 10:26 AM on Aug 15, 2024
Ekadashi Tithi Ends - 09:39 AM on Aug 16, 2024


पुत्रदा एकादशी साल में दो बार मनाई जाती है। पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी वर्तमान में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर या जनवरी के महीने में पड़ती है, जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी वर्तमान में जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। पौष माह की पुत्रदा एकादशी उत्तर भारतीय राज्यों में अधिक लोकप्रिय है, जबकि अन्य राज्यों में लोग श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी को अधिक महत्व देते हैं।

लाभ - हिंदू धर्म में जन्म और मृत्यु के समय किए जाने वाले अनुष्ठानों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के समय कुछ ऐसे अनुष्ठान निर्धारित किए गए हैं जिन्हें केवल पुत्र द्वारा ही किया जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अंतिम संस्कार संस्कार पुत्र द्वारा ही किया जाना चाहिए और यह आत्मा की मुक्ति के लिए आवश्यक है। पुत्र मृत व्यक्ति की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए नियमित श्राद्ध करने का कर्तव्य भी निभाता है, चाहे वह पृथ्वी पर हो या स्वर्ग में।

हिंदू धर्म की "मृत्यु के बाद जीवन" की अवधारणा में विश्वास रखने वाले दंपत्तियों के लिए पुत्र प्राप्ति न होना दुखदायी हो जाता है। पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।

श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रोपाणा एकादशी या पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, खास तौर पर वैष्णव समुदाय में।

कभी-कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए करने का सुझाव दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्मार्त एवं परिवार को पहले दिन ही व्रत करना चाहिए। दूजी एकादशी व्रत, जो कि दूसरी है, सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को करने की सलाह दी जाती है। जब स्मार्त के लिए दूजी एकादशी व्रत का सुझाव दिया जाता है तो वह वैष्णव एकादशी व्रत के दिन होती है।

भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह पाने के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।