एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जिसके खंभे झूलते हैं हवा में
भारत एक ऐसा देश है, जहां हर मंदिर के पीछे कोई न कोई ऐतिहासिक, पौराणिक और रहस्यमय कथा जुड़ी होती है। दक्षिण भारत में स्थित लेपाक्षी मंदिर भी एक ऐसा ही अद्भुत और रहस्यमय मंदिर है

भारत एक ऐसा देश है, जहां हर मंदिर के पीछे कोई न कोई ऐतिहासिक, पौराणिक और रहस्यमय कथा जुड़ी होती है। दक्षिण भारत में स्थित लेपाक्षी मंदिर भी एक ऐसा ही अद्भुत और रहस्यमय मंदिर है, जिसे वीरभद्र मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है और अपनी अद्भुत वास्तुकला, रहस्यमयी तैरते स्तंभ (Floating Pillar) और प्राचीन शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर से कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी अधिक रहस्यमयी बनाती हैं। इस लेख में हम लेपाक्षी मंदिर के इतिहास, रहस्यमयी स्तंभ और इसके पीछे की कहानियों को विस्तार से समझेंगे।
लेपाक्षी मंदिर का इतिहास
लेपाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के राजा अच्युतराय के शासनकाल में उनके दो शासन अधिकारियों वीरन्ना और विरुपन्ना द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान वीरभद्र (भगवान शिव का एक उग्र रूप) को समर्पित है। मंदिर का नाम ‘लेपाक्षी’ संस्कृत शब्दों ‘ले’ (उठो) और ‘पाक्षी’ (पक्षी) से बना है, जिसका अर्थ है "उठो, पक्षी!"। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान राम के अनुयायी जटायू का वध रावण द्वारा किया गया था, और जब भगवान राम वहां पहुंचे तो उन्होंने घायल जटायू से कहा, "ले पाक्षी!" (उठो, पक्षी!)। इसी कारण इस स्थान का नाम लेपाक्षी पड़ा।
तैरता हुआ स्तंभ: वास्तुकला का अजूबा
लेपाक्षी मंदिर में कुल 70 स्तंभ हैं, लेकिन इन सभी में से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध एक ऐसा स्तंभ है, जो जमीन को नहीं छूता। इसे ‘हैंगिंग पिलर’ या ‘फ्लोटिंग पिलर’ कहा जाता है। यह स्तंभ बिना किसी सहारे के लटका हुआ प्रतीत होता है और यह मंदिर के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है।
तैरते स्तंभ के पीछे की कहानी
इस रहस्यमयी स्तंभ के बारे में एक कहानी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल में एक ब्रिटिश इंजीनियर ने इस स्तंभ के रहस्य को समझने और इसे हटाने का प्रयास किया, लेकिन जब उसने इसे खींचा, तो पूरा मंदिर हिलने लगा। डर के कारण उसने अपना प्रयास वहीं रोक दिया। यह घटना यह दर्शाती है कि यह स्तंभ मंदिर की संरचना के संतुलन को बनाए रखता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक इंजीनियरों और वास्तुशास्त्रियों के अनुसार, यह स्तंभ मंदिर की उन्नत वास्तुकला और उत्कृष्ट निर्माण तकनीकों का प्रमाण है। यह संभवतः मंदिर के संरचनात्मक संतुलन का एक हिस्सा है, जिसे इतने बारीकी से डिजाइन किया गया था कि यह हवा में झूलता प्रतीत होता है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है।
मंदिर की अनूठी विशेषताएँ
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विशाल नंदी प्रतिमा: मंदिर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर एक विशाल नंदी प्रतिमा स्थित है, जिसकी लंबाई लगभग 27 फीट और ऊँचाई 15 फीट है। इसे भारत की सबसे बड़ी नंदी प्रतिमाओं में से एक माना जाता है।
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भगवान शिव के पदचिन्ह: मंदिर के भीतर एक स्थान पर भगवान शिव के पदचिह्न अंकित हैं, जिसे भक्त विशेष श्रद्धा से पूजते हैं।
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चित्रित छत: मंदिर की छतों पर सुंदर चित्रकारी की गई है, जिसमें रामायण और महाभारत से जुड़ी कहानियाँ चित्रित हैं। यह विजयनगर काल की कला को दर्शाती है।
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अनसुलझे रहस्य: मंदिर में कई अन्य रहस्यमयी संरचनाएँ भी हैं, जिनमें छत पर अद्भुत चित्रकारी और गुप्त सुरंगों के अवशेष शामिल हैं।
लेपाक्षी मंदिर से जुड़ी अन्य पौराणिक कथाएँ
1. विरुपन्ना की कहानी
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाले मंत्री विरुपन्ना पर राजा के खजाने का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। क्रोधित होकर राजा ने उनकी दोनों आँखें निकालने का आदेश दिया। किंवदंती है कि विरुपन्ना ने अपनी आँखें स्वयं निकालकर मंदिर की दीवार पर फेंक दी थीं। आज भी मंदिर की दीवारों पर खून के धब्बे जैसे निशान देखे जा सकते हैं।
2. जटायू का अंतिम स्थान
कुछ कथाओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहां रावण ने जटायू का वध किया था और भगवान राम ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया था। इसलिए यह स्थान भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है।
कैसे पहुँचे लेपाक्षी मंदिर?
लेपाक्षी मंदिर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है और बेंगलुरु से केवल 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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सड़क मार्ग: बेंगलुरु से राष्ट्रीय राजमार्ग NH-7 द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
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रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन हिंदूपुर रेलवे स्टेशन (15 किमी) है, जहाँ से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
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हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 100 किमी दूर है।
लेपाक्षी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला और रहस्यमयी संरचनाओं का अद्भुत उदाहरण भी है। इसका तैरता हुआ स्तंभ आज भी विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए एक पहेली बना हुआ है। पौराणिक कथाओं से जुड़ा यह मंदिर इतिहास, कला, और संस्कृति का एक अनमोल खजाना है। यदि आप ऐतिहासिक और रहस्यमयी स्थानों की यात्रा करना पसंद करते हैं, तो लेपाक्षी मंदिर आपकी सूची में अवश्य होना चाहिए।