Pradosh Vrat: क्यों करते हैं प्रदोष व्रत? इसमें किस देवी-देवता की होती है पूजा? जानिए सब कुछ

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखने वाला व्रत है। यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। इस व्रत को रखने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।

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Pradosh Vrat: क्यों करते हैं प्रदोष व्रत? इसमें किस देवी-देवता की होती है पूजा? जानिए सब कुछ

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखने वाला व्रत है। यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। इस व्रत को रखने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। प्रदोष व्रत, जिसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है।जब प्रदोष का दिन सोमवार को पड़ता है तो उसे सोम प्रदोषम कहा जाता है, मंगलवार को इसे भौम प्रदोषम कहा जाता है और शनिवार को इसे शनि प्रदोषम कहा जाता है।

प्रदोष व्रत के लिए, वह दिन तय किया जाता है जब त्रयोदशी तिथि सूर्यास्त के बाद शुरू होने वाले प्रदोष काल के दौरान पड़ती है। सूर्यास्त के बाद का समय, जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष का समय ओवरलैप होता है, शिव पूजा के लिए शुभ होता है। 


यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रदोष के लिए व्रत का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है, भले ही वे एक ही भारतीय राज्य में हों। प्रदोष के लिए व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है और यह तब मनाया जाता है जब सूर्यास्त के बाद त्रयोदशी तिथि प्रबल होती है। इसलिए प्रदोष व्रत द्वादशी तिथि यानी त्रयोदशी तिथि से एक दिन पहले मनाया जा सकता है। चूंकि सभी शहरों के लिए सूर्यास्त का समय अलग-अलग होता है

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यह व्रत विशेष रूप से मानसिक शांति, धन, और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत करता है, उसके जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

प्रदोष व्रत में किस देवी-देवता की होती है पूजा?

प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए रखा जाता है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, और चावल अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है।

  • भगवान शिव की आराधना: प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद और रात होने से पहले का समय) में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
  • मां पार्वती का पूजन: शिव के साथ मां पार्वती की पूजा भी की जाती है, जो परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाती हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
  2. स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें।
  3. शिवलिंग पर जल, दूध, और शुद्ध गंगाजल चढ़ाएं।
  4. बेलपत्र, भस्म, और धतूरा अर्पित करें।
  5. प्रदोष काल में दीपक जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें।
  6. शिव पुराण का पाठ करें या शिव चालीसा का पाठ करें।
  7. रात में व्रत कथा सुनें और भगवान शिव की आरती करें।

प्रदोष व्रत की कथा

प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक बार एक वृद्ध ब्राह्मण दंपति ने संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। यह कथा इस बात को दर्शाती है कि प्रदोष व्रत सच्चे मन से करने पर भगवान शिव सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।

प्रदोष व्रत के प्रकार

प्रदोष व्रत तीन प्रकार के होते हैं:

  1. सोम प्रदोष व्रत: यह व्रत सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष पर रखा जाता है और स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष माना जाता है।
  2. भौम प्रदोष व्रत: मंगलवार को पड़ने वाला यह व्रत जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
  3. शनि प्रदोष व्रत: शनिवार को आने वाला प्रदोष व्रत धन-समृद्धि और शनि दोष से मुक्ति दिलाता है।

प्रदोष व्रत के लाभ

  1. कष्टों का निवारण: यह व्रत जीवन के सभी कष्टों और समस्याओं का समाधान करता है।
  2. आध्यात्मिक शुद्धि: प्रदोष व्रत करने से मन, वचन, और कर्म की शुद्धि होती है।
  3. धन और समृद्धि: यह व्रत परिवार में सुख-शांति और आर्थिक उन्नति लाता है।
  4. संतान सुख: इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।

प्रदोष व्रत में क्या न करें?

  1. व्रत के दिन झूठ बोलने से बचें।
  2. मांसाहार और नशे का सेवन न करें।
  3. किसी का अपमान न करें और क्रोध से बचें।
  4. प्रदोष काल में सोने से बचें।

निष्कर्ष

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। इस व्रत को श्रद्धा और सच्चे मन से करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। यह व्रत न केवल जीवन की समस्याओं को हल करता है बल्कि भगवान शिव की भक्ति से मन को शांति भी प्रदान करता है।