Chhath Puja Ended: उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ का हुआ समापन

छठ पूजा का पर्व भारतीय संस्कृति में अद्वितीय और पवित्र स्थान रखता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं। उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर यह महापर्व समाप्त होता है, जिसे एक महान लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। आज इस पर्व के समापन के अवसर पर लोग अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं और परिजनों के साथ इस अनुष्ठान का समापन करते हैं। आइए, इस पर्व की महिमा, महत्व और परंपराओं के बारे में विस्तार से जानें।

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Chhath Puja Ended: उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ का हुआ समापन

छठ पूजा का पर्व भारतीय संस्कृति में अद्वितीय और पवित्र स्थान रखता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं। उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर यह महापर्व समाप्त होता है, जिसे एक महान लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। आज इस पर्व के समापन के अवसर पर लोग अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं और परिजनों के साथ इस अनुष्ठान का समापन करते हैं। आइए, इस पर्व की महिमा, महत्व और परंपराओं के बारे में विस्तार से जानें।

छठ पूजा का समापन कैसे होता है?

छठ पूजा का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता है। इस दिन भक्तगण उगते हुए सूर्य देव को नमन करते हैं और जल में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अर्घ्य पिछले तीन दिनों की तपस्या, व्रत और श्रद्धा के समापन का प्रतीक होता है। अंतिम दिन की पूजा को प्रातःकालीन अर्घ्य कहा जाता है, जिसमें सूर्य देव को नमन कर परिवार की समृद्धि, सुख-शांति, और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है।

छठ पूजा का महत्व और पौराणिक मान्यता

छठ पूजा का महत्व अत्यंत विशिष्ट है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव को जीवन, शक्ति और ऊर्जा का स्रोत माना गया है, और इसी कारण छठ पूजा में सूर्य की आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा महाभारत काल से जुड़ी हुई है, जब कर्ण ने सूर्य देव की आराधना की थी और विशेष वरदान प्राप्त किया था। इसी प्रकार, द्रौपदी ने भी परिवार की सुख-शांति के लिए छठ पूजा की थी।

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य का महत्व

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। उगते सूर्य को नमन करने का संदेश यह है कि हम अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। सूर्य की पहली किरणों को अर्घ्य देने से मन, शरीर और आत्मा में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में नई ऊर्जा और उल्लास का अनुभव होता है।

छठ पूजा की चार दिन की परंपराएं

छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है और इसमें हर दिन विशेष धार्मिक क्रियाओं का पालन किया जाता है।

  1. नहाय-खाय: पहले दिन व्रतधारी स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं और अपनी आत्मा और शरीर को शुद्ध करते हैं।
  2. खरना: दूसरे दिन दिनभर का उपवास रखा जाता है और शाम को गुड़ और चावल का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया जाता है।
  3. संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो आभार प्रकट करने का प्रतीक है।
  4. प्रातःकालीन अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन होता है, और इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है।

छठ पूजा के स्वास्थ्य लाभ

छठ पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। सूर्य की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलता है, जो हमारी हड्डियों और इम्यून सिस्टम के लिए लाभकारी होता है। साथ ही, सुबह के समय सूर्य की हल्की किरणें त्वचा के लिए भी लाभकारी होती हैं। इसके अलावा, चार दिन का यह व्रत मन और शरीर को शुद्ध और स्वस्थ रखता है।

  • विटामिन डी का लाभ: सूर्य की किरणों से प्राप्त विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • त्वचा के लिए फायदेमंद: सूर्य की सुबह की किरणों से त्वचा को लाभ मिलता है।
  • मानसिक शांति: जल में खड़े होकर पूजा करना मानसिक शांति का अनुभव कराता है।

छठ पूजा के दौरान प्रसाद का महत्व

छठ पूजा में ठेकुआ, गन्ना, नारियल और फल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इन सभी प्रसादों का न केवल धार्मिक महत्व होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं।

  • ठेकुआ – यह गेहूं के आटे और गुड़ से बनाया जाता है, जो ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
  • नारियल – पवित्रता का प्रतीक होने के साथ यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
  • गन्ना और फल – प्राकृतिक मिठास और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

छठ पूजा का पर्यावरणीय महत्व

छठ पूजा हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाता है। इस पूजा में प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग होता है, जैसे बांस के सूप, मिट्टी के दीये, और वृक्षों के पत्तों का इस्तेमाल, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। यह त्योहार प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष

छठ पूजा का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होता है, जो एक नई शुरुआत, शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व हमें न केवल सूर्य देव की उपासना करने की प्रेरणा देता है, बल्कि परिवार की सुख-शांति और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की भी प्रेरणा देता है। छठ पूजा का यह पर्व हमारी संस्कृति, आस्था, और परंपरा का प्रतीक है, और यह हमें शुद्धता, स्वच्छता और समर्पण की ओर अग्रसर करता है।