Chhath Puja 2024: कल दिया जाएगा अस्तलांचल सूर्य को अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति की पूजा और सूर्य देवता की आराधना के लिए समर्पित है। छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है, और इसे सूर्य को अर्घ्य देकर उनके प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व माना जाता है।
छठ पूजा एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार प्रकृति की पूजा और सूर्य देवता की आराधना के लिए समर्पित है। छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है, और इसे सूर्य को अर्घ्य देकर उनके प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व माना जाता है। इस वर्ष छठ पूजा का पर्व 5 नवंबर 2024 से शुरू होकर 8 नवंबर 2024 तक मनाया जाएगा, जिसमें अस्तलांचल सूर्य को अर्घ्य 7 नवंबर 2024 को दिया जाएगा।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी है। यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन पुरुष और बच्चे भी इसमें भाग लेते हैं। इस पूजा के दौरान भक्तों द्वारा सूर्य को जल अर्पित कर स्वस्थ, सुखमय और समृद्ध जीवन की कामना की जाती है। सूर्य को जीवन का आधार माना गया है, इसलिए छठ पूजा के माध्यम से उनकी उपासना और धन्यवाद अर्पित किया जाता है।
छठ पूजा विशेष रूप से सूर्य की दो स्थितियों में - अस्तलांचल (शाम) और उगते हुए (सुबह) को अर्घ्य देने के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है कि अस्तलांचल सूर्य को अर्घ्य देने से दुखों का नाश होता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में नई उर्जा और सकारात्मकता आती है।
छठ पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष छठ पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
नहाय-खाय (पहला दिन): 5 नवंबर 2024
खरना (दूसरा दिन): 6 नवंबर 2024
अस्तलांचल सूर्य को अर्घ्य (तीसरा दिन): 7 नवंबर 2024, शाम 5:10 बजे से 6:10 बजे के बीच (स्थान के अनुसार मुहूर्त में थोड़ा बदलाव हो सकता है)
उगते सूर्य को अर्घ्य (चौथा दिन): 8 नवंबर 2024, सुबह 6:00 बजे से 7:00 बजे के बीच
छठ पूजा की विधि और परंपराएं
छठ पूजा की शुरुआत चार दिन पहले से ही हो जाती है और इसकी हर परंपरा का एक विशेष महत्व है। छठ पर्व के दौरान महिलाएं और पुरुष दोनों उपवास रखते हैं और संकल्प करते हैं कि इस दौरान वे पूरी पवित्रता के साथ पूजा करेंगे। छठ पूजा की चार मुख्य विधियां इस प्रकार हैं:
पहला दिन - नहाय-खाय
छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती (उपवास रखने वाले) गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्धता का पालन करते हुए भोजन ग्रहण करते हैं। इस भोजन में खासतौर पर कद्दू-भात और चने की दाल बनाई जाती है।
दूसरा दिन - खरना
छठ के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती पूरा दिन उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ होता है, जिसमें पानी तक नहीं पिया जाता।
तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन अस्तलांचल सूर्य (सूर्यास्त के समय) को अर्घ्य देने की परंपरा होती है। व्रती तालाब, नदी, या घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन व्रती अपने परिवार के साथ जल में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना करते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
चौथा दिन - उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य विशेष रूप से जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मकता लाने का प्रतीक माना जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाले विशेष प्रसाद
छठ पूजा का प्रसाद विशेष रूप से शुद्धता और पवित्रता के साथ तैयार किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से ठेकुआ, जिसे गेहूं के आटे और गुड़ से बनाया जाता है, फल, नारियल, गन्ना, और सुपारी का उपयोग होता है। प्रसाद को बांस के सूप में सजाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि इस प्रसाद का सेवन करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति आती है।
छठ पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
छठ पूजा के दौरान विशेष सावधानी रखी जाती है क्योंकि यह पूजा शुद्धता और अनुशासन का प्रतीक है। इस दौरान घर की स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है और व्रती भी पूरी पवित्रता का पालन करते हैं।
प्लास्टिक का उपयोग न करें: छठ पूजा में पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए, इसलिए बांस के सूप और प्राकृतिक सामग्री का ही प्रयोग करें।
तालाब या नदी की स्वच्छता का ध्यान रखें: छठ पूजा में नदी या तालाब में अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए जल की स्वच्छता बनाए रखें।
शुद्धता और अनुशासन का पालन करें: छठ पूजा के दौरान व्रती पूरी निष्ठा और संयम के साथ उपवास करते हैं, इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।
छठ पूजा का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व यह है कि यह हमें सूर्य देव के प्रति हमारी कृतज्ञता और संकल्प को प्रदर्शित करने का अवसर देता है। सूर्य जीवन का आधार हैं, और उनके प्रति हमारी श्रद्धा हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करती है। इस पूजा के वैज्ञानिक पहलुओं में यह माना गया है कि सूर्य की किरणों से ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े रहने का संदेश भी देता है। इस पर्व का महत्व सदियों से हमारे समाज में चला आ रहा है, और आज भी यह हमारे जीवन में आध्यात्मिकता और अनुशासन का प्रतीक है।