Chhath Puja 2024: आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें इसका महत्व

छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है, जिसमें भक्तजन अपनी श्रद्धा और समर्पण से सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा 2024 में आज यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जो इस पर्व का सबसे खास और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। आइए जानते हैं इस अनुष्ठान का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में।

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Chhath Puja 2024: आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें इसका महत्व

छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है, जिसमें भक्तजन अपनी श्रद्धा और समर्पण से सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा 2024 में आज यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जो इस पर्व का सबसे खास और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। आइए जानते हैं इस अनुष्ठान का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में।

छठ पूजा का पौराणिक महत्व

छठ पूजा का पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह माना जाता है कि इस पर्व का संबंध महाभारत काल से है, जब कुंती ने सूर्य देव की आराधना कर कर्ण को वरदान प्राप्त किया था। इसी तरह, द्रौपदी ने भी छठ पूजा करके अपने परिवार की रक्षा और सुख-समृद्धि की कामना की थी। छठ पूजा का उद्देश्य सूर्य देव की उपासना करके ऊर्जा, स्वास्थ्य, और संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त करना है।

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व

डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और उर्जा का स्रोत माना गया है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का अर्थ है जीवन के संघर्षों को स्वीकार करना और उन्हें समाप्त करने के लिए सूर्य देव की कृपा प्राप्त करना। इस दिन व्रतधारी लोग नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पापों का नाश करने की प्रार्थना करते हैं।

छठ पूजा की पूजा विधि

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक कठिन और पवित्र व्रत है, जिसमें श्रद्धालु पूरी तरह से शुद्धता और नियमों का पालन करते हैं। इस पर्व में नदी, तालाब या जलाशय के किनारे पूजा का आयोजन किया जाता है, जहां व्रतधारी पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

छठ पूजा के चार दिन:

  1. नहाय खाय – इस दिन व्रतधारी स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं और व्रत की शुरुआत करते हैं।
  2. खरना – दूसरे दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखकर शाम को गुड़ और चावल का प्रसाद बनाते हैं और उसे ग्रहण करते हैं।
  3. डूबते सूर्य को अर्घ्य – तीसरे दिन व्रतधारी सूर्यास्त के समय नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
  4. उगते सूर्य को अर्घ्य – चौथे दिन सुबह के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा समाप्त होती है।

छठ पूजा में अर्घ्य देने के फायदे

छठ पूजा में अर्घ्य देने के कई वैज्ञानिक और धार्मिक फायदे होते हैं। इस प्रक्रिया में भक्त जल में खड़े होकर सूर्य की ओर मुख करते हैं, जिससे सूर्य की किरणें सीधे उनके शरीर पर पड़ती हैं।

  • विटामिन डी की प्राप्ति होती है, जो हड्डियों के लिए लाभकारी होता है।
  • सूर्य की किरणों से त्वचा में सुधार आता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
  • डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले प्रसाद का महत्व

छठ पूजा में ठेकुआ, गन्ना, नारियल और फल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ये सभी प्रसाद प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, जो भक्तों को स्वस्थ रहने और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।

  • ठेकुआ गेहूं के आटे और गुड़ से बनाया जाता है, जो ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
  • नारियल मानसिक शांति और शुद्धता का प्रतीक है।
  • गन्ना और फल प्राकृतिक मिठास और पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं।

छठ पूजा का पर्यावरणीय महत्व

छठ पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है। इस पूजा में रासायनिक रंगों और कृत्रिम चीजों का उपयोग नहीं होता है, बल्कि बांस के सूप, मिट्टी के दीये, और प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। यह पर्व न केवल हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखता है, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान और प्रेम को भी दर्शाता है।

छठ पूजा के दौरान विशेष सावधानियां

छठ पूजा के दौरान विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए। व्रतधारी पूर्ण शुद्धता के साथ पूजा करते हैं और किसी प्रकार की अशुद्धता से बचने की कोशिश करते हैं। साथ ही, छठ पूजा के स्थल पर स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक होता है, ताकि पूजा स्थल का वातावरण पवित्र बना रहे।

निष्कर्ष

छठ पूजा भारतीय समाज में आध्यात्मिकता और समर्पण का पर्व है, जिसमें भक्तजन कठिन तपस्या और संकल्प के साथ सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व इस पर्व का सबसे खास हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। छठ पूजा हमें अपने जीवन में पवित्रता, शुद्धता और संकल्प की प्रेरणा देती है और यह त्योहार हमारी संस्कृति और परंपरा को जीवंत बनाए रखता है।