Amla Navami 2024: इस दिन है आँवला नवमी, इस पर्व पर दान का होता है विशेष महत्व
आँवला नवमी का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है। इसे आंवला एकादशी या अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का महत्व विशेष रूप से इसलिए होता है क्योंकि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है बल्कि दान और पुण्य का भी अवसर प्रदान करता है। इस दिन आँवला वृक्ष की पूजा का विधान है, जो हिंदू मान्यताओं में एक पवित्र वृक्ष माना गया है।
आँवला नवमी का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष स्थान रखता है। इसे आंवला एकादशी या अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का महत्व विशेष रूप से इसलिए होता है क्योंकि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है बल्कि दान और पुण्य का भी अवसर प्रदान करता है। इस दिन आँवला वृक्ष की पूजा का विधान है, जो हिंदू मान्यताओं में एक पवित्र वृक्ष माना गया है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है। यह देवउठनी एकादशी से दो दिन पहले मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि के नाम से भी जाना जाता है और यह सभी प्रकार के दान-पुण्य कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि अक्षय नाम से पता चलता है, इस दिन कोई भी दान या भक्ति कार्य करने का फल कभी कम नहीं होता और व्यक्ति को न केवल इस जीवन में बल्कि अगले जन्मों में भी लाभ होता है।
अक्षय नवमी का दिन अक्षय तृतीया के दिन जितना ही महत्वपूर्ण है। अक्षय तृतीया जहां त्रेता युगादि है, जिस दिन चार युगों में से त्रेता युग की शुरुआत हुई थी, वहीं अक्षय नवमी सत्य युगादि है। अक्षय नवमी के शुभ दिन पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा बहुत महत्वपूर्ण है। सत्ययुगादि के पावन दिन पर हजारों श्रद्धालु अधिकतम और कभी न घटने वाले पुण्य को अर्जित करने के लिए मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। अक्षय नवमी के दिन को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। परंपरागत रूप से अक्षय नवमी के शुभ दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में, इसी दिन जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है, जब सत्ता की देवी जगद्धात्री की पूजा की जाती है।
आँवला नवमी 2024 का शुभ मुहूर्त
आँवला नवमी का पर्व नवमी तिथि को मनाया जाता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आता है। इस वर्ष, आँवला नवमी 10 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:22 AM से लेकर 11:50 AM तक रहेगा, जिसमें भक्तजन आँवला वृक्ष की पूजा कर सकते हैं।
आँवला नवमी का पौराणिक महत्व
आंवला नवमी का पौराणिक महत्व काफी गहरा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आँवला वृक्ष में वास करते हैं। इसलिए, आँवला वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
आँवला नवमी पर दान का महत्व
आँवला नवमी के दिन दान का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। आँवला नवमी पर लोग ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और वस्त्र, अनाज, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करते हैं। यह पर्व हमें अपने समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देता है और दूसरों की सहायता करने की सीख भी देता है।
आँवला वृक्ष की पूजा का महत्व
आँवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा विशेष रूप से की जाती है। आंवला को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है और यह माना जाता है कि आँवला की पूजा से सारे पापों का नाश होता है और व्यक्ति को स्वस्थ एवं लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
आंवला वृक्ष के फायदे:
- आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- आँवला का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और त्वचा में निखार आता है।
- आँवला का नियमित सेवन बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद माना गया है।
आँवला नवमी की पूजा विधि
आँवला नवमी की पूजा के लिए सबसे पहले आंवला वृक्ष के पास साफ स्थान पर एक चौकी रखी जाती है। इस चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित की जाती है। इसके बाद वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाकर उसे पुष्प, रोली और अक्षत से सजाया जाता है। आंवला वृक्ष की परिक्रमा की जाती है और इस दौरान कथा का पाठ किया जाता है।
- पूजा के बाद वृक्ष के नीचे भोजन करने की परंपरा होती है, जिसे पारिवारिक सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- वृक्ष की पूजा के पश्चात दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है।
आँवला नवमी से जुड़े धार्मिक और स्वास्थ्य लाभ
आंवला नवमी का त्योहार हमें न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभ पहुंचाता है। आंवला नवमी पर आंवला का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं और त्वचा को चमकदार बनाते हैं।
आंवला नवमी का यह पर्व हमें प्राकृतिक तत्वों के साथ जुड़ने और उनका आदर करने की सीख देता है।
आँवला नवमी के अन्य नाम और उनके महत्व
आँवला नवमी को कुछ स्थानों पर अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का अक्षय फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का प्रभाव जीवन भर बना रहता है।
आँवला नवमी का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का अभिन्न हिस्सा है। इस दिन दान, पुण्य, और आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। आँवला नवमी के इस पावन पर्व पर हमें अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए और इस पवित्र अवसर का लाभ उठाना चाहिए।