Aghor in Mahakumbh: क्या कुंभ में अघोरी भी लेते हैं भाग, जानिये इनके बारे में
अघोरी साधु हिंदू धर्म के शैव संप्रदाय के सबसे रहस्यमयी और विवादित साधुओं में से एक हैं। अघोरी शब्द का अर्थ है 'जो अघ (पाप) से मुक्त हो।' यह साधु भगवान शिव के उग्र रूप, महाकाल और भैरव के उपासक होते हैं।

अघोरी साधु हिंदू धर्म के शैव संप्रदाय के सबसे रहस्यमयी और विवादित साधुओं में से एक हैं।
- अघोरी शब्द का अर्थ है 'जो अघ (पाप) से मुक्त हो।'
- यह साधु भगवान शिव के उग्र रूप, महाकाल और भैरव के उपासक होते हैं।
- इनका मुख्य उद्देश्य जीवन और मृत्यु के बीच के भेद को समाप्त करना और आत्मा की शुद्धि प्राप्त करना है।
- अघोरी कठोर साधना और तपस्या के लिए जाने जाते हैं, और इनकी साधना मृत्यु, श्मशान, और जीवन के गूढ़ पहलुओं से जुड़ी होती है।
महाकुंभ और अघोरी साधु
महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भाग लेते हैं, जिनमें अघोरी भी शामिल होते हैं।
- हालांकि, अघोरी साधु महाकुंभ में बहुत कम संख्या में दिखाई देते हैं।
- ये साधु आमतौर पर श्मशान घाटों और एकांत स्थलों पर रहना पसंद करते हैं।
- महाकुंभ के दौरान, अघोरी साधु संगम में स्नान करके अपनी साधना को पूर्ण करने का अवसर प्राप्त करते हैं।
अघोरी साधु क्यों होते हैं दुर्लभ?
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एकांत साधना:
अघोरी साधु आमतौर पर समाज से दूर, एकांत में रहते हैं।- उनकी साधना का मुख्य केंद्र श्मशान घाट होता है।
- यह साधु जनसामान्य के साथ संपर्क से बचते हैं।
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सख्त नियम और अनुशासन:
अघोरी साधु बनने के लिए कठोर साधना और आत्म-नियंत्रण की आवश्यकता होती है।- वे समाज के सामान्य नियमों और भौतिक सुखों को पूरी तरह त्याग देते हैं।
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मृत्यु और आत्मा का अध्ययन:
अघोरी साधु मृत्यु के रहस्यों को समझने और आत्मा की उन्नति के लिए साधना करते हैं।- इस प्रक्रिया में, वे श्मशान घाट में ध्यान करते हैं और मृत्यु को अपने साधन का हिस्सा मानते हैं।
अघोरी साधुओं का इतिहास
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भगवान शिव के अनुयायी:
अघोरी साधु भगवान शिव के उग्र और विनाशक स्वरूप के उपासक हैं।- वे शिव को आदिगुरु मानते हैं और उनकी साधना मृत्यु और विनाश के इर्द-गिर्द केंद्रित होती है।
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गुरु दत्तात्रेय:
अघोरी साधु गुरु दत्तात्रेय को अपना आदर्श मानते हैं, जिन्होंने योग, ध्यान, और आत्मज्ञान का प्रचार किया। -
काशी और श्मशान:
बनारस (वाराणसी) अघोरी साधुओं का प्रमुख केंद्र है।- काशी के मणिकर्णिका घाट को इनकी साधना का पवित्र स्थल माना जाता है।
अघोरी साधुओं की जीवनशैली
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भोजन और रहन-सहन:
- अघोरी साधु साधारण जीवन जीते हैं और केवल उतना ही ग्रहण करते हैं, जितना जीवित रहने के लिए आवश्यक हो।
- वे कभी-कभी मृत शरीर से जुड़े प्रतीकों का उपयोग करते हैं, जो उनके साधना पथ का हिस्सा होता है।
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तपस्या:
- अघोरी साधु कठिन तपस्या करते हैं, जो उनके आत्म-नियंत्रण और साधना की गहराई को दर्शाता है।
- वे जीवन और मृत्यु के संबंध को समझने के लिए श्मशान में ध्यान करते हैं।
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आध्यात्मिक शक्ति:
- ऐसा माना जाता है कि अघोरी साधु के पास विशेष आध्यात्मिक शक्तियाँ होती हैं, जिनसे वे रोगों का निवारण और आत्मा की शुद्धि करते हैं।
महाकुंभ में अघोरी साधुओं का महत्व
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में अघोरी साधु अपनी साधना को पूर्ण करने और समाज को संदेश देने के लिए भाग लेते हैं।
- संगम स्नान: यह उनके लिए आत्मशुद्धि का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
- आध्यात्मिक संदेश: अघोरी साधु यह संदेश देते हैं कि मृत्यु भी जीवन का एक हिस्सा है और इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
- धर्म और साधना: उनकी उपस्थिति धर्म और साधना के गूढ़ पक्षों को उजागर करती है।
अघोरी साधुओं के रहस्य
- श्मशान साधना:
अघोरी साधु श्मशान को सबसे पवित्र स्थान मानते हैं, क्योंकि यह मृत्यु का प्रतीक है। - मौन व्रत:
कई अघोरी साधु मौन व्रत रखते हैं और अपनी साधना को एकांत में जारी रखते हैं। - आध्यात्मिक शक्ति:
इन साधुओं को आत्मा और शरीर के बीच के संबंध को समझने की गहरी शक्ति प्राप्त होती है।
अघोरी साधु भारतीय संस्कृति और साधना का गूढ़ पहलू हैं।
- महाकुंभ जैसे आयोजनों में उनकी उपस्थिति समाज को आध्यात्मिक संदेश देने और धर्म की गहराई को समझाने का अवसर प्रदान करती है।
- उनकी साधना और जीवनशैली हमें सिखाती है कि जीवन और मृत्यु एक चक्र का हिस्सा हैं, जिसे समझकर आत्मा की शुद्धि प्राप्त की जा सकती है।